GETTING MY HANUMAN CHALISA TO WORK

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Yama, Kubera and also the guardians with the four quarters; poets and scholars – none can express Your glory.

व्याख्या – श्री रामचन्द्र जी ने हनुमान जी के प्रति अपनी प्रियता की तुलना भरत के प्रति अपनी प्रीति से करके हनुमान जी को विशेष रूप से महिमा–मण्डित किया है। भरत के समान राम का प्रिय कोई नहीं है, क्योंकि समस्त जगतद्वारा आराधित श्री राम स्वयं भरत का जप करते हैं

सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥ तुह्मरे भजन राम को पावै ।

हरिओम शरण की मधुर आवाज में हनुमान चालीसा

Quite a few 14th-century and afterwards Hanuman photographs are found in the ruins from the Hindu Vijayanagara Empire.[35] In Valmiki's Ramayana, estimated to have been composed prior to or in concerning the 3rd century BCE,[36] Hanuman is a crucial, Imaginative determine as a simian helper and messenger for Rama. It's, even so, within the late medieval era that his profile evolves right into a much more central part and dominance because the exemplary spiritual devotee, notably with the popular vernacular text Ramcharitmanas by Tulsidas (~ 1575 CE).

होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा ।

सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।

◉ श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा, हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा, बूढ़े मंगलवार और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से गाये जाने वाला चालीसा है.

भावार्थ – हजार मुख वाले श्री शेष जी सदा तुम्हारे यश का गान करते रहेंगे ऐसा कहकर लक्ष्मी पति विष्णु स्वरूप भगवान् श्री राम ने आपको अपने हृदयसे लगा लिया।

The king of your gods, Indra, responds by telling his wife which the living currently being (monkey) that bothers her would be to be witnessed as a friend, Which they need to make an effort to coexist peacefully. The hymn closes with all agreeing that they ought to come collectively in Indra's dwelling and share the wealth on the offerings.

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥ सहस बदन तुह्मारो जस गावैं ।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥

“Your glory is for many of click here the 4 yugas, Your greatness is rather famed throughout the earth, and illuminates the whole world.”

भावार्थ – अन्त समय में मृत्यु होने पर वह भक्त प्रभु के परमधाम (साकेत–धाम) जायगा और यदि उसे जन्म लेना पड़ा तो उसकी प्रसिद्धि हरिभक्त के रूपमें हो जायगी।

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